भारत ही नहीं अमेरिका के बाशिंदे भी हैं चीनी मिट्टी की हस्तकला के दीवाने

 


भारत ही नहीं अमेरिका के बाशिंदे भी हैं चीनी मिट्टी की हस्तकला के दीवाने


कुरुक्षेत्र। उत्तर प्रदेश मेरठ में जन्मे अनीश खान के हाथों में इतना जादू है कि उनकी हस्तकला के दीवाने भारत में भी नहीं अमेरिका के बाशिंदे भी है। इस शिल्पकार अनीश खान के हाथों से बने चीनी मिट्टी के बर्तन भारत से ज्यादा अमेरिका के लोग पसंद करते हैं। इस हस्तकला को चार चांद लगाने का काम अनीश के हाथों से तैयार किए गए विशेष रंग कर रहे हैं।


 

शिल्पकार अनीश खान ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केंद्र द्वारा आवंटित स्टाल नंबर 97 पर पर्यटकों के लिए आकर्षक चीनी मिट्टी के बर्तन सजाए हुए है। यहां पर बातचीत करते हुए अनीश ने कहा कि शौक-शौक में ही उनकी हस्तकला को देश में ही नहीं अन्य देशों में भी एक पहचान मिलेगी, ऐसा सोचा भी नहीं था, लेकिन उनकी मेहनत और लग्न रंग लाई। अपनी मेहनत से पत्थरों को पीसकर पाउडर बनाकर और चीनी मिट्टी तैयार करके बर्तनों का रूप देना उनकी जीवन का एक मकसद बन गया। इस मकसद से उन्होंने वर्ष 2006 में एक मुकाम हासिल किया जब उतर प्रदेश सरकार ने विशालकाय बाउल और उस पर विशेष रंगों से की गई पेंटिंग को स्टेट अवार्ड से नवाजा। यह अवार्ड हासिल करने के बाद उनके हौसलों को उड़ान मिली और लगातार अच्छी गुणवत्ता के चीनी मिट्टी के बर्तन तैयार करने लगे।
शिल्पकार अनीश खान का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पिछले 5 सालों से आ रहे हैं, इस महोत्सव में अमेरिका में सप्लाई की गई हांडी भी लेकर आए है, इसके अलावा विशेष रंगों से नक्काशी की गई प्लेटों को भी पर्यटकों के लिए रखा है। इन सभी चीनी के बर्तनों को और उस पर की गई पेंटिंग को हाथ से ही तैयार किया जाता है किसी प्रकार की मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता। जिसके कारण ही उनकी शिल्प कला को लोग सराह रहे हैं। उनके पास हाथ से तैयार किए गए रंगों से विशेष प्रकार डिश प्लेट भी रखी है। एक दिन में 4 प्लेट पर पेंटिंग का कार्य मुश्किल से पूरा हो पाता है। इस बार उनके स्टाल पर 20 से लेकर 1200 रुपये तक का समान रखा हुआ है।